बीते लम्हों को याद कर , होंठों पर मुस्कान तो आती है ,
पर यह तो बताओ उन यादों से , यह आखें क्यों भर आती हैं ।
वो पल जो बिताये साथ साथ , गुदगुदा तो देते हैं ,
पर वही पल , आँचल भी क्यों भिगो देते हैं।
बहुतों से मिले , बहुतों से मिलते हैं,
पर हर किसी में तुमको ही क्यों ढूंढते हैं ।
तुमको आज भी मुझे समझाने के लिए ढूंढती हूँ,
पर फ़िर खामोशियों से ही समझ लेती हूँ।
मिलने के वादे तो हज़ार होंगे ,
पर जब तक हम हैं आप मेरी यादों में होंगे.....
arpita ji ,
ReplyDeletekavita bahut sundar ban padi hai .. aur yaadon ko yaad karti hui hai ..
badhai..
pls visit my blog for new poems.
Vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
hey arpi,
ReplyDeleteexcellent poem yaar..
touched my heart!
i loved these lines :
"बहुतों से मिले , बहुतों से मिलते हैं,
पर हर किसी में तुमको ही क्यों ढूंढते हैं । "
keep writing