Sunday, December 14, 2008

Yaadien


बीते लम्हों को याद कर , होंठों पर मुस्कान तो आती है ,

पर यह तो बताओ उन यादों से , यह आखें क्यों भर आती हैं ।


वो पल जो बिताये साथ साथ , गुदगुदा तो देते हैं ,

पर वही पल , आँचल भी क्यों भिगो देते हैं।


बहुतों से मिले , बहुतों से मिलते हैं,

पर हर किसी में तुमको ही क्यों ढूंढते हैं ।


तुमको आज भी मुझे समझाने के लिए ढूंढती हूँ,

पर फ़िर खामोशियों से ही समझ लेती हूँ।


मिलने के वादे तो हज़ार होंगे ,

पर जब तक हम हैं आप मेरी यादों में होंगे.....

2 comments:

  1. arpita ji ,

    kavita bahut sundar ban padi hai .. aur yaadon ko yaad karti hui hai ..

    badhai..

    pls visit my blog for new poems.
    Vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  2. hey arpi,

    excellent poem yaar..

    touched my heart!

    i loved these lines :

    "बहुतों से मिले , बहुतों से मिलते हैं,

    पर हर किसी में तुमको ही क्यों ढूंढते हैं । "

    keep writing

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