Thursday, October 11, 2012

नभ तेरी हो जाऊँ मैं

ये पंख देख इतराऊँ मैं ,
मन मुस्काऊँ, लजा जाऊँ मैं,
रन्गबिरन्गे इन परों को आज पसार,
अब नभ तेरी हो जाऊँ मैं.
 
देख पवन पर खुजलाऊँ मैं,
चाहे मन हवा हो जाऊँ मैं,
कर बेडियाँ स्वातंत्र्य पर निसार,
अब नभ तेरी हो जाऊँ मैं.

नीले इस अंबर खो जाऊँ मैं,
हर दुख से लुक-छुप जाऊँ मैं,
बस तेरा ही प्राभुत्व कर स्वीकार,
अब नभ तेरी हो जाऊँ मैं.

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