Sunday, October 13, 2013

Miss you my Sister

एक अजब बैचैनी , एक अलग ही एहसास है,
वो लम्हा मिलने का अब इतना जो पास है,
हर दिन सोचा करते थे कैसे मिलेगे उस पल 
अब दिन कम गिन कर मन फ़िर से उदास है।

ये काम - ये दूरी, दुनिया भर की मजबूरी,
सौ बहाने पास, सब तुमसे बने ज़रूरी,
हाय! पछताये मन, तरसे दरस को तेरे 
बिन तेरे जीने की हर चाह है अधूरी।

अब छोड के आऊगी मतलबी ये फ़ेरे,
अब न बनेगे बहाने मेरी खुशियो के लुटेरे,
बस कुछ दिन बाकी हैं, गुज़र जायेगे,
फ़िर गले लगाऊगी बहेना प्यार से तुझे मै मेरे 

No comments:

Post a Comment